SHIV JI BHAJAN LYRICS शिव जी भजन - दूल्हा जो ढूंढ्यो बावरो री सखी
दूल्हा जो ढूंढ्यो बावरो री सखी वे तो अंग में भस्मी रमाये जमाई बड़ो पागल है
शीश भोले के गंगा बिराजे सखी वो तो जटों से गंगा बहाये जमाई बड़ो पागल है
हाथ भोले के त्रिशूल बिराजे सखी वो तो डम डम डमरू बजाये जमाई बड़ो पागल है
दूल्हा जो ढूंढ्यो बावरो री सखी वे तो अंग में भस्मी रमाये जमाई बड़ो पागल है
अंग भोले के भस्मी बिराजे सखी वो तो गले नाग लिपटाये जमाई बड़ो पागल है
दूल्हा जो ढूंढ्यो बावरो री सखी वे तो अंग में भस्मी रमाये जमाई बड़ो पागल है
संग भोले के पार्वती सोहे सखी वो तो गोदी गणेश बिठाये जमाई बड़ो पागल है
दूल्हा जो ढूंढ्यो बावरो री सखी वे तो अंग में भस्मी रमाये जमाई बड़ो पागल है
पाँव भोले के कडव बिराजे सखी वो तो बिच्छू ततैया रमाये जमाई बड़ो पागल है
दूल्हा जो ढूंढ्यो बावरो री सखी वे तो अंग में भस्मी रमाये जमाई बड़ो पागल है
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