SHIV BHAJN LYRICS शिव भजन -पार्वती बोली भोले से ऐसा महल बना दो ना
पार्वती बोली भोले से ऐसा महल बना दो ना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
१. जिस दिन से में ब्याह के आई भाग्य हमारे फूट गए
पीसत पीसत भंगिया तेरी हाथ हमारे टूट गए
कान खोल कर सुन लो भोले अब पर्वत पर नहीं रहना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
२. पार्वती से बोले भोले तेरे मन में धीर नहीं
इन ऊँचे महलों में रहना अपनी ये तक़दीर नहीं
करू तपस्या मैं पर्वत पर हमें महल का क्या करना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
३. सोना चांदी हीरे मोती चमक रहे हो चम् चम् चम्
दास दासियाँ करे हाजिरी मेरी सेवा में हरदम
बिना इजाजत कोई ना आवे पहरेदार बिठा देना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
४. पार्वती की ज़िद के आगे भोले बाबा हार गए
सुंदर महल बनाने खातिर विश्वकर्मा तैयार किये
पार्वती लक्ष्मी से बोली गृहप्रवेश में आजा ना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
५. गृहप्रवेश करवाने खातिर पंडितजी बुलवाये गए
पंडित थे वो बड़े ही ज्ञानी गृहप्रवेश करवाए गए
सोना देना दान में उनको पार्वती का था कहना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
६. जिसकी जो तक़दीर में भक्तो बस उतना ही मिलता हे
मालिक की मर्ज़ी के बिना तो एक पत्ता ना हिलता है
यूँ तो देव बड़े देखे पर महादेव का क्या कहना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना।
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
१. जिस दिन से में ब्याह के आई भाग्य हमारे फूट गए
पीसत पीसत भंगिया तेरी हाथ हमारे टूट गए
कान खोल कर सुन लो भोले अब पर्वत पर नहीं रहना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
२. पार्वती से बोले भोले तेरे मन में धीर नहीं
इन ऊँचे महलों में रहना अपनी ये तक़दीर नहीं
करू तपस्या मैं पर्वत पर हमें महल का क्या करना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
३. सोना चांदी हीरे मोती चमक रहे हो चम् चम् चम्
दास दासियाँ करे हाजिरी मेरी सेवा में हरदम
बिना इजाजत कोई ना आवे पहरेदार बिठा देना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
४. पार्वती की ज़िद के आगे भोले बाबा हार गए
सुंदर महल बनाने खातिर विश्वकर्मा तैयार किये
पार्वती लक्ष्मी से बोली गृहप्रवेश में आजा ना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
५. गृहप्रवेश करवाने खातिर पंडितजी बुलवाये गए
पंडित थे वो बड़े ही ज्ञानी गृहप्रवेश करवाए गए
सोना देना दान में उनको पार्वती का था कहना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना
६. जिसकी जो तक़दीर में भक्तो बस उतना ही मिलता हे
मालिक की मर्ज़ी के बिना तो एक पत्ता ना हिलता है
यूँ तो देव बड़े देखे पर महादेव का क्या कहना
जो कोई देखे तो ये बोले क्या कहना भई क्या कहना।
Keep it up....
ReplyDelete