GANESH JI BHAJAN गणेश जी भजन - हरी हरी दुर्वा चढ़े
हरी - हरी दुर्वा चढ़े , गजानंद हरे हरे
हरी - हरी दुर्वा चढ़े , गजानंद हरे हरे
१. शीश तुम्हारा बड़ा हे गजानंद
कान तुम्हारे सूपड़ा गजानंद
सवा मन का मुकुट चढ़े
गजानंद हरे हरे ........
२. सूंड तुम्हारी लम्बी हे गजानंद
तोंद तुम्हारी मोटी हे गजानंद
सवा मन का लड्डू चढ़े
गजानंद हरे हरे .........
३. पत्नि तुम्हारी दो दो गजानंद
दाएं बाएं चवर डुले
गजानंद हरे हरे........
४. दूर दूर से आए यात्री
कामना को पूरन करे
गजानंद हरे हरे।
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